पावर हानि चनही किये गापूर्ति के लखनऊ। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बिजली क्षेत्र की मजबूती के लिये बजट प्रावधानों में बढ़ोत्तरी का सुझाव दिया है। संसद के शुक्रवार को शुरू होने वाले बजट सत्र से पहले फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने गुरूवार को कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के कमजोर बिजली नेटवर्क को देखते हुए बजट में समुचित वृद्धि किये जाने की जरूरत है जिससे सदर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर किया जा सके। उन्होने कहा कि बिजली क्षेत्र में दूसरी बड़ी चुनौती लाइन हानियों को 15 फीसदी से नीचे लाने की है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिना मीटर के बिजली कनेक्शन चल रहे हैं जिससे बिजली की खपत पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है। यह जरूरी होगा कि सबको 24 घंटे बिजली देने के पहले शत प्रतिशत मीटरिंग सुनिश्चित की जाये। अकेले उप्र में लगभग 84 लाख उपभोक्ता बिना मीटर के बिजली ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहित कई ऐसे राज्य हैं जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में ट्यूब वेल और घरेलू बिजली आपूर्ति के फीडर अलग नही किये गए हैं जिससे लाइन हानि बढ़ती है क्योंकि ट्यूब वेल को 24 घंटे बिजली की जरूरत नहीं होती लेकिन अलग फीडर न होने के कारण ट्यूब वेल को भी पूरे समय बिजली देनी पड़ती है। फीडर सेपरेशन के लिए भी बजट में समुचित प्राविधान जरूरी है। उन्होने कहा कि ताप बिजली घरों पर लगाया गया क्लीन एनर्जी सेस 400 रूपये प्रति टन घटाकर 100 रूपये प्रति टन किया जाये जिससे बिजली की दरों में कमी आएगी और उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ काम होगा। बजट में प्राविधान किया जाये कि निजी घरानों की स्ट्रेस्ड असेट और बिजली क्रय करार पुनरीक्षित उपभोक्ता पर्म कमी आएगाजली जरूरतः दुबे किये जाने ओम जनता को न न कहा किये जाने से बिजली टैरिफ बढ़ने का बोझ आम जनता को न उठाना पड़े। फेडरेशन के चेयरमैन ने कहा कि पर्यावरण के नए मापदण्डों के अनुसार 25 साल से अधिक पुराने ताप बिजली घरों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन( एफजीडीएस) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा। देश में लगभग दो लाख मेगावाट क्षमता के पुराने बिजली घरों को पर्यावरण के इन माप डंडों का पालन करना होगा जिस पर प्रति मेगावाट एक करोड़ रूपये से अधिक का खर्च आएगा। राज्य के सबसे सस्ती बिजली देने वाले आनपारा ए और बी बिजली घर भी इन मापदडों को पूरा न कर पाए तो इन्हे बंद करना पड़ेगा। अगले दो वर्षों में एक लाख 75 हजार मेगावाट की नई उत्पादन क्षमता सोलर , विन्ड और अन्य गैर परंपरागत क्षेत्रों में जोड़ी जानी है। गैर परंपरागत क्षेत्र में इतनी बड़ी क्षमता का पूरा सदुपयोग हो सके इसके लिये चार्जिंग इन्फा स्ट्रक्चर और स्टोरेज इन्फा स्ट्रक्चर की जरूरत होगी जिस पर प्रति यूनिट पांच से सात रूपये तक का खर्च आएगा जिसका बजट में समुचित प्रावधान होना चाहिए। श्री दुबे ने कहा कि बजट में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा और इसके लिये बजटीय प्राविधान सबसे जरूरी है। आय कर छूट की सीमा कम से कम आठ लाख रूपये की जानी चाहिये। 80 सी सी के अन्तर्गत बचत की सीमा 01.50 लाख से बढ़ाकर कम से कम 03 लाख की जाने चाहिए। उन्होने कहा कि मकान निर्माण और वाहन खरीद के लिये पांच फीसद ब्याज पर ऋण दिया जाये जबकि सेवा निवृत्त कार्मिकों की पेन्शन पूरी तरह कर मुक्त की जाये।
बिजली क्षेत्र के लिये बजट में बढ़ोत्तरी की जरूरतः दुबे