ट्रॉपिकल डिजीज से निबटने के लिए नई रणनीतियों पर काम करना पड़ेगाः प्रो. भट्ट

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के कुलपति प्रो० एम एल बी भट्ट ने कहा कि ट्रॉपिकल डिजीज से निबटने के लिए नई रणनीतियों पर काम करना पड़ेगा और इसके उपचार की पद्धतियों को अपडेट करने की आवश्यकता है। प्रथम विश्व नेगलेक्टेड टॉपिकल डिजीजडे के अवसर पर गरुवार को यहां केजीएमय में मेडिसिन विभाग के तत्वावधान में कलाम सेंटर में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन चिकित्सा कुलपति प्रो एम एल बी भट्ट और डॉ० राम मनोहर लोहिया आयार्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो ए के त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर प्रो० भट्ट ने कहा कि ट्रॉपिकल डिजीज से निबटने के लिए नई रणनीतियों पर काम करने के साथ-साथ इसके उपचार की पद्धतियों को अपडेट करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर डॉ० त्रिपाठी ने कहा कि नेगलेक्टेड ट्रोपिकल डिजीज के बारे में समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है। क्योंकि जानकारी के अभाव में नुकसान ज्यादा होता है। जागरूकता के द्वारा हम बीमारी को नियंत्रित कर सकते है। कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष एवं केजीएमयू मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो० वीरेंद्र आतम ने जागरूकता फैलाने पर जोर देते हए कहा कि साफ सफाई को अपने जीवन मे अपनाना होगा। आयोजन सचिव डॉ डी हिमांशु ने कहा इन बीमारियों की गंभीरता को देखते हुए पहली बार पूरे विश्व में प्रथम नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिसीज के रूप में मनाया जा रहा है। उत्तप्रदेश का पर्यावरण इन बीमारियों के लिए उपजाऊ साबित हो रहा है। जागरूकता के द्वारा बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। सेमिनार में विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोऑर्डिनेटर डॉ तनुज शर्मा ने बताया कि लेप्रोसी की रोकथाम के लिए ग्राम प्रधानों एवं स्कूलों को भी जोड़ा जा रहा है। इसमें उनको शपथ दिलाई जा रही है जिससे इस बीमारी को से जुड़े भेदभाव को दूर किया जा सके। इस बीमारी की पहचान यह है कि इसमें तवचा पर जो घाव होते है उनमें किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नही होती है।